किसी ने 2400 खर्च कर लड़ा था पहला चुनाव तो कोई पैदल करता था प्रचार, मतदाताओं के घर ही प्रत्याशियों का होता था ठहरना, वही कराते थे भोजन भी
तेजी से घूमते समय चक्र के साथ चुनाव लड़ने व चुनाव प्रचार का तरीका भी तेजी से बदला है। अब चुनाव मीडिया व सोशल मीडिया पर ज्यादा आधारित हो गया है। 50 वर्ष पहले प्रत्याशी वोटरों से आत्मीयता का रिश्ता बनाते थे। वहीं, वोटर भी प्रत्याशी को चुनाव खर्च के लिए चंदा देते थे। वोट मांगने गए प्रत्याशी से लेकर कार्यकर्ताओं तक के भोजन का इंतजाम वोटर के घर होता था।
जीवन के 70 से अधिक बसंत देख चुके कुछ पूर्व विधायकों ने बताया कि अब ऐसी बात नहीं है। 50 वर्ष पहले की तुलना में चुनाव लड़ना बहुत खर्चीला हो गया है। जो हर किसी के बूते की बात नहीं है। समय बदलने के साथ बड़ी तेजी के साथ चुनाव में विकृति भी आती जा रही है। चुनाव प्रचार के दौरान एक प्रत्याशी दूसरे प्रत्याशी को नीचा दिखाने के लिए कीचड़ उछालने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
सिर्फ सिंबल मेरा था, सारे खर्च से लेकर भोजन जनता का था
पहली बार 1962 में मीनापुर विस क्षेत्र से सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ा था। सिर्फ सिंबल मेरा था। बाकी खर्च से लेकर भोजन तक जनता का था। हम तो केवल घूमते थे। उस दौर टीन के भोंपू से प्रचार करते थे। कार्यकर्ता अपना चुनाव समझते थे। अब तो चुनाव में टिकट से लेकर वोटर तक की खरीदते हैं। -जनकधारी प्रसाद कुशवाहा, पूर्व विधायक, मीनापुर विस (वर्तमान उम्र 87 वर्ष)
पहले वोटर को विश्वास में लिया जाता था, सुनी जाती थी समस्या
पहली बार 1967 में विधानसभा चुनाव लड़े थे। तब महज 24 सौ रुपए खर्च हुआ था। 60-70 के दशक में होने वाले चुनाव और अब होने वाले चुनाव में बहुत अंतर आ गया है। पहले वोटर को विश्वास में लिया जाता था। उनकी समस्या सुनी जाती थी। अब इसमें काफी बदलाव आ गया है। – रमई राम, पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक, बोचहां विस (वर्तमान उम्र- 74 वर्ष)
साइकिल से ही 20-20 किमी दूरी तक चुनाव प्रचार करते थे
1977 में जब हम पहली बार चुनाव लड़े तो 20-20 दूरी तक साइकिल से ही प्रचार किया करते थे। बहुत कम खर्च चुनाव में होता था। चुनाव लड़ने के लिए कोई 10 पैसा तो कोई 20 पैसा तक चंदा देते थे। साथ ही प्रेम से अपने दरवाजे पर भोजन भी कराते थे। अब ऐसा नहीं है। – बालेंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक, बरूराज विस, (वर्तमान उम्र- 78 साल)
प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों के साथ भी नहीं होती थी कटुता की भावना
1980 में पहली बार बेलसंड से चुनाव लड़े। उस समय 20 से 22 किलोमीटर की दूरी तक पैदल ही कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव प्रचार में जाते थे। प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों के साथ भी कटुता की भावना नहीं होती थी। 1990 के बाद चुनाव में जिस तरह खर्च हो रहा है, वह बूते की बाहर की बात है। – दिग्विजय नारायण सिंह, पूर्व विधायक, बेलसंड विस, (वर्तमान उम्र -76 साल)
पैदल ही गांव-गांव घूम कर वोटर के पास पहुंचते थे
पहली बार 1969 में मीनापुर से चुनाव मैदान में उतरे थे। बहुत कम खर्च चुनाव में होता था। गांव-गांव में पैदल घूमते थे। एक-एक वोटर के पास पहुंचते थे। तब और अब के चुनाव प्रचार में बहुत अंतर आ गया है। -हिंद केसरी यादव, पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक मीनापुर, (वर्तमान उम्र – 74 वर्ष)
पहले वोटरों से एक अलग तरह का रिश्ता होता थापहली बार 1977 में चुनाव लड़े थे। 45 सौ रुपए चुनाव में खर्च हुआ था। जिस जीप से प्रचार करने निकलते थे, उसके पीछे ही लाउडस्पीकर बंधा होता था। वोटरों से अलग तरह का रिश्ता होता था। -गणेश प्रसाद यादव, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक औराई, वर्तमान उम्र -74 वर्ष)